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हर शहर की अपनी मजबूरी होती है,
हर शहर की अपनी कमज़ोरी।
शहर की मुस्कुराहटों को
उसकी अच्छी किस्मत मत समझो,
समझो की शहर में हिम्मत है,
अपने आंसुओ को छुपाने की
क्योंकि
हर शहर की अपनी मजबूरी होती है,
शहर कभी अपनी कह जाता है,
कभी चुप भी रह जाता है।
उसकी चुप्पी के पीछे होती है कोई कहानी।
कहानी मजबूरियों से जूझने की,
कभी सुन कर तो देखो।
पर बिन एक भी आह के।
मिला कर तो देखो कदम शहर से,
शहर रुकेगा नहीं कहीं।
क्योंकि यह भी
हर शहर की अपनी मजबूरी होती है।
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Image used is a water colour painting by famous artist Mr. Milind Mulick
Bhut acha.
धन्यवाद।
NICE
Thank you!
शहर rukega nhi kahi kyu ki यह bhi har शहर ki मजबुरी h.
Good line
Thank you!
और ऐसे ही शहर अपनी मजबूरियों को अपनी ताकत बना लेता है, आगे बढ़ जाता है।
बहुत सुन्दर। हिन्दी को उसके उचित रूप में देखकर अच्छा लगा।
जी, धन्यवाद।
अगर मैं ठीक ठीक व्याख्या कर रहा हूँ तो यह बहुत गहरी रचना है
जी। पढ़ने के लिए धन्यवाद।
After long gap came across your post. Good to read that. It was way in depth.
Thank you. 😃