बिना खुद को खोए तुम में,
तुमको कैसे पाऊं?
तुम हो मेरी जान शरीर में,
दूर कैसे जाऊं?
तुमसे मैंने सीखा,
दु:ख में भी धीरज रखना।
तुम जीवन का सच,
झूठ कैसे बताऊं?
तुम बन गए सहारा,
खुशियों की आई बहार।
पर लगा सब भ्रम है,
पर ये कैसे कह पाऊँ?
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बिना खुद को खोए तुम में,
तुमको कैसे पाऊं?
तुम हो मेरी जान शरीर में,
दूर कैसे जाऊं?
तुमसे मैंने सीखा,
दु:ख में भी धीरज रखना।
तुम जीवन का सच,
झूठ कैसे बताऊं?
तुम बन गए सहारा,
खुशियों की आई बहार।
पर लगा सब भ्रम है,
पर ये कैसे कह पाऊँ?