Recently, a lot of things happened in India over the CAA (Citizenship Amendment Act). There are many Hindu and other refugees who have been in India for long and are awaiting to get citizenship status from Government of India.
Not commenting further on the act, I am only sharing a heartfelt of a refugee, the displaced. I am sure you’ll like it.
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अब हम ना किसी मंदिर के हैं, ना किसी गुरुद्वारे के,
अब ना हम किसी देश के हैं ना किसी
गलियारे के।
हम हैं वह पीड़ित शरणार्थी जिनकी कोई अब ज़मीन नहीं।
बस एक आसमान है सर पर, पर अब उस पर भी यकीन नहीं।
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और कोई नहीं तो बस जिंदगी अब साथ है,
ज़मीन का आसरा ना है, आशियाना बर्बाद है।
ले चलें कदम जिस ओर चले जाएंगे वहीं,
होगी राहत, मिले शरण अगर तुम्हारे देश में भी।
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बचे हैं कुछ पिछली ज़िंदगी के किस्से,
शेष रह गये हैं बस अपनी यादों के हिस्से—
कुछ रिश्तेदारों की बातें, कुछ पड़ोसियों के साथ खोए पल,
बच्चों की वो ज़िद, कुछ परिवार में हलचल।
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कहतें है बड़े लोग, पुरानी बातें भूल जानी चाहिए,
नयी यादों के लिए दिल में जगह बनानी चाहिए।
पर कोई यह नहीं बताता, अब यहांँ से कहाँ जायें?
जब हमारी कोई सुनता नहीं तो नयी यादें कैसे बनायें?
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किसी ने कहा, “जिसका कोई नहीं, उसका ईश्वर होता है”।
पर मुझे न मिले वो, बता दो अगर उनका भी कोई खास पता है।
जब घर जल रहे थे हमारे, तब ईश्वर क्यों नहीं आए?
क्यों हमें उन्होंने इतने आँसू रूलाए?
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