🙂
ज़िंदगी, मेरे सपने मत तोड़ो,
उनके बिना मैं ना रह पाऊंँगी।
इस जन्म में पूरे ना कर पाई,
तो अगले जन्म फिर आऊंँगी।
राह के पत्थर चुनकर मैंने,
एक मज़बूत सड़क बनाई है।
उस पर आगे बढ़ जाने दो मुझे,
क्योंकि, इस पर ही रोशनी नज़र आई है।
ऊंँचे पहाड़ ना देखे मैंने,
बस मंजिल की तरफ ही की चढ़ाई है।
थक जाती हूंँ रोज़, फिर भी मैंने
चलते रहने की कसम खाई है।
ज़िंदगी, तुम एक बार आती हो बस,
तो फिर क्यों नाराज हो जाती हो?
खुद ही लेकर आती हो सपने,
फिर खुद ही तोड़ने आ जाती हो।
आओ, ठहरो, देखो बस मुझे,
मैं तुम्हें संवारना चाहती हूंँ।
मैं जानती हूंँ कद्र तुम्हारी, इसीलिए,
तुम्हें यकीन दिलाना चाहती हूँ।
ना मैं हूंँ कम किसी बात में,
ना बातों में जीती हूंँ।
तुम जैसे ही निर्मल हूंँ, हर पल
सपने पूरे करने में लगी रहती हूंँ।
अब तो समझ जाओ बस तुम,
यही जीने का सहारा है।
छोटे से हों या बड़े कोई,
अपना हर सपना मुझे प्यारा है।
🌈✍🏻
©SnehaK, Pen and Book
YouTube channel: Sneha Recites
बेहतरीन पंक्तियाँ है🌸😊
धन्यवाद।
आपकी लेखनी ही आपके सपनों को ऊँची उड़ान तक ले जायेगी,बहुत ख़ूब लिखा है
बहुत बहुत धन्यवाद। सभी के सपने पूरे होते रहें।