तुमको कैसे पाऊं?

बिना खुद को खोए तुम में,

तुमको कैसे पाऊं?

तुम हो मेरी जान शरीर में,

दूर कैसे जाऊं?

तुमसे मैंने सीखा,

दु:ख में भी धीरज रखना।

तुम जीवन का सच,

झूठ कैसे बताऊं?

तुम बन गए सहारा,

खुशियों की आई बहार।

पर लगा सब भ्रम है,

पर ये कैसे कह पाऊँ?

Published by Sneha

Thinker, Poetess, Instructional Designer

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