कुछ जीवन के पाठ

अब तो मैंने जीना सीखा है,

अब तो मैंने हिम्मत करना सीखा है।

अब तो मैंने समझा है,

जीवन की गहराइयों को।

अब तो मैंने देखा है,

अपने मन की अच्छाइयों को।

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अब तो चलना सीखा है,

अब तो गिरकर संभलना सीखा है।

अब तो मैंने कोशिश की है

सपनों के साथ चलने को।

अब तो मैंने जाना है

खुद अपना साथ देने को।

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मैंने अपना हाथ बढ़ाया है,

हो सके तो चले आना।

मेरा मन पवित्र है,

मन करे तो मान लेना।

हाँ मैं उम्मीद भी करती हूँ,

तुम्हारी राह भी देखती हूँ।

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अब तो मैंने माना है,

खुद जल कर रौशन होने को।

अब तो मैंने जाना है

खुद अपना साथ देने को।

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Published by Sneha

Thinker, Poetess, Instructional Designer

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