फिर मिलें ना मिलें

बनाया था मैंने एक प्यारा सा जहान।

जिया है जी भर के हर एक पल यहाँ।

देखे थे सपने, छुआ था आसमान।

इतनी ही थी मेरी छोटी सी दुनिया।

हैं बस सब कुछ दिन के मेहमान।

जब तक सांस है, है ज़िंदगी का कारवां।

मिला था जीवन जैसे एक वरदान।

फिर मिलें ना मिलें ये जिस्म और जाँ।

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Published by Sneha

Thinker, Poetess, Instructional Designer

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