हर शहर की… 

~~~~~~ हर शहर की अपनी मजबूरी होती है, हर शहर की अपनी कमज़ोरी। शहर की मुस्कुराहटों​ को उसकी अच्छी किस्मत मत समझो, समझो की शहर में हिम्मत है, अपने आंसुओ को छुपाने की क्योंकि हर शहर की अपनी मजबूरी होती है, शहर कभी अपनी कह जाता है, कभी चुप भी रह जाता है। उसकी चुप्पीContinue reading “हर शहर की… “